पुलिस से असुरक्षित आम जनता

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 Trishul News भारत — विशेष रिपोर्ट

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 “पुलिस का अमानवी चेहरा: डर की छवि कब बनेगी विश्वास का चेहरा?”

रिपोर्ट:

भारत की पुलिस व्यवस्था का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक डर की भावना पैदा हो जाती है। जिस पुलिस को जनता की रक्षा और सेवा के लिए बनाया गया था, वही कई बार अपने अमानवी रवैए से जनता के लिए भय का कारण बन जाती है।

थानों में पीड़ित की बात न सुनना, आरोपियों के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार, रिश्वतखोरी, या बिना जांच के कार्रवाई — ये सब घटनाएं समाज में पुलिस की छवि को और धूमिल करती हैं।

जहां आम नागरिक न्याय की उम्मीद लेकर पुलिस के पास जाता है, वहीं कई बार उसे धमकी, अपमान या उपेक्षा का सामना करना पड़ता है।

लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू भी है —

देश में ऐसे भी कई पुलिस अधिकारी हैं जो दिन-रात जनता की सेवा में लगे हैं। अपराधियों से जूझते हुए, आपदाओं के समय अपनी जान जोखिम में डालते हुए वे सच्चे “जनरक्षक” की भूमिका निभा रहे हैं।

जरूरत है तो सिर्फ सोच बदलने की।

पुलिस को जनता के प्रति संवेदनशील होना होगा, थानों को डर का नहीं, भरोसे का केंद्र बनाना होगा।

जब पुलिस जनता को अपना साथी मानेगी, तभी जनता भी पुलिस पर विश्वास करेगी।

सवाल वही है —

क्या पुलिस अपने अमानवी चेहरे को छोड़कर “जनपुलिस” की सच्ची छवि बना पाएगी?

या फिर जनता का डर यूँ ही कायम रहेगा?

 रिपोर्ट: करण सक्सेना, विशेष संवाददाता

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