नेताओं के झूठे वादों ने देश को डुबाया

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मुजफ्फरपुर में महिलाओं का चुनाव को लेकर रिपोर्ट मिली जिसमें “आक्रोश” के कारण इस प्रकार 

सुविधाओं की कमी

मतदान केंद्रों की दूरियों, परिवहन की दिक्कतें, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में, महिलाओं के लिए मतदान आसान नहीं हो सकता।

सुरक्षा और व्यवहार

मतदान केंद्र पर सुरक्षित माहौल का अभाव — पुरुषों का दबाव, इंतजार करने की लंबी कतारें, या महिला पर्यवेक्षकों का अभाव — ऐसी शिकायतें हो सकती हैं।

जानकारी की कमी और पारदर्शिता

चुनावी प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी जैसे किस पार्टी का उम्मीदवार कौन है, वादे क्या हैं, प्राथमिकताएँ क्या हैं — जब ये स्पष्ट न हों, महिलाएँ निराश हो सकती हैं।

भ्रष्टाचार या दबाव का डर

वोटिंग में दबाव — राजनीति ब्याज समूहों का हस्तक्षेप, स्थानीय दबदबे वाले वोटर टेंशन, या प्रत्याशियों/पार्टी एजेंट्स द्वारा दबाव डालना — महिलाओं में आक्रोश का कारण हो सकता है।

प्रतिकूल सामाजिक या पारिवारिक दबाव

कभी-कभी सामाजिक मान्यताएँ या परिवार के सदस्यों का दबाव हो सकता है कि वे अपना वोट कैसे डालें, क्या वोट दें, आदि।

महिलाओं की उम्मीदों की न पूर्ति

यदि पिछली चुनाव बाद में उन्हें वह बदलाव न दिखा हो — जैसे बुनियादी सुविधाएँ, शिक्षा, स्वास्थ्य, पाइप पानी, सड़क आदि — तो वे नाराज होंगी कि वोट देकर भी लाभ नहीं हुआ।

मतदाता पहचान या पंजीकरण संबंधी दिक्कतें

वोटर लिस्ट में नाम नहीं होना, पते का प्रमाण न होना, पहचान पत्र संबंधी समस्या — ऐसी छोटी-छोटी प्रक्रियात्मक अड़चनें भी निराशा पैदा करती हैं।




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