क्या यह सुशासन है या “सत्ता का डर” जो अफसरों को झुकने पर मजबूर कर रहा है ?

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"मध्यप्रदेश में अफसरशाही नहीं, नेताशाही चल रही है — मोहन सरकार का नया नियम: झुको या हटो!"

भोपाल से रिपोर्ट —

मध्यप्रदेश में अफसरशाही अब नेताओं की चौखट पर नतमस्तक नज़र आ रही है। मोहन सरकार द्वारा मंगलवार रात को की गई तबादला सूची ने साफ संदेश दे दिया है कि — “जो अफसर भाजपा नेताओं के आगे झुकेगा वही अपनी कुर्सी बचा पाएगा, बाकी का ट्रांसफर तय है।”


सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने एक ही झटके में 24 आईएएस अफसरों का तबादला कर दिया, जिनमें 12 जिलों के कलेक्टर भी शामिल हैं। यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब कई जिलों में भाजपा नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच टकराव की खबरें सामने आ रही थीं।


नेताओं की नाराज़गी बन गई तबादले की वजह:

डिंडोरी की कलेक्टर नेहा मारव्या, जिन्होंने ईमानदारी और सख्त कार्यशैली से अपनी पहचान बनाई थी, को मात्र 8 महीनों में ही पद से हटा दिया गया। कारण — उनका स्थानीय भाजपा विधायक ओमप्रकाश धुर्वे से विवाद में पड़ना।


इसी तरह, भिंड के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव का कार्यकाल तो सिर्फ 34 दिनों का ही रहा। भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने उन्हें “चोर” तक कह दिया और धमकी दी — नतीजा, तत्काल तबादला!


भाजपा नेताओं की कॉल न उठाने की ‘सज़ा’:

भोपाल ननि कमिश्नर हरेंद्र नारायण को केवल इसलिए हटा दिया गया क्योंकि उन्होंने नेताओं के फोन नहीं उठाए।

छिंदवाड़ा के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह को भी इसी कारण तबादला झेलना पड़ा, क्योंकि उन्होंने स्थानीय भाजपा विधायक की मनमानी के आगे झुकने से इनकार किया था।


जनता के हितों पर नेताओं की खुशामदी भारी:

राज्य में जो तस्वीर उभरकर सामने आई है, वह लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। अफसर अब जनता की सेवा करने से पहले नेताओं की “संतुष्टि” के बारे में सोचने को मजबूर हैं।

मोहन सरकार के इस रवैये ने सवाल खड़ा किया है —

क्या अब जनता की सेवा से ज्यादा राजनीतिक दबाव महत्वपूर्ण हो गया है?

क्या भाजपा सरकार में प्रशासनिक पदों की गरिमा नेताओं की मर्ज़ी पर निर्भर है?


मुख्यमंत्री मोहन यादव का यह रवैया जनता में आक्रोश को बड़ा रहा। 

राजनीतिक हस्तक्षेप की यह परंपरा प्रशासन की निष्पक्षता पर सीधा प्रहार है। लगातार तबादलों से न केवल अफसरों का मनोबल टूट रहा है, बल्कि सरकारी कामकाज की स्थिरता भी खत्म हो रही है।

मध्यप्रदेश की जनता सवाल कर रही है —

 1  क्या यह सुशासन है या “सत्ता का डर” जो अफसरों को झुकने पर मजबूर कर रहा है?

2  यह किस भक्षक को मुख्यमंत्री बना दिया?





 


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