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गरीब जनता की भूख और राजनेताओं की मौज – विकास का असली चेहरा उजागर
देश की सड़कों पर आज भी गरीब जनता दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं सत्ता के गलियारों में बैठे नेता विलासिता की जिंदगी जी रहे हैं। एक ओर जनता के बच्चे भूख से तड़प रहे हैं, दूसरी ओर राजनीति के मंचों पर करोड़ों खर्च कर दिए जाते हैं।
सरकारें योजनाएँ बनाती हैं, वादे करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि गरीबों की थाली अब भी खाली है।
राजनेताओं की मौज-मस्ती और भ्रष्टाचार की इस अंधी दौड़ में आम इंसान की तकलीफें कहीं खो सी गई हैं। सवाल यह है कि जब जनता ही भूखी रह जाएगी, तो यह "विकास" आखिर किसके लिए है?
गरीब भूखे सोए, नेता मौज मनाए!
जनता की थाली खाली, सत्ता की मेज़ पर दावतें जारी!
भूख में तड़पती जनता, ऐश में डूबी राजनीति!
नेताओं की मौज पर जनता की रोटी कुर्बान!
एक ओर भूख, दूसरी ओर भ्रष्ट सुख!
गरीब की भूख नहीं दिखती, बस वोट दिखता है!
सत्ता की कुर्सी गर्म, जनता की चूल्हा ठंडा!