TRISHUL NEWS भारत
देश की नई आवाज़
पुणे की अविनाशी जेएम रोड: 50 साल पुरानी सड़क आज भी गड्ढामुक्त
पुणे। जब देशभर की नई बनी सड़कें कुछ ही महीनों में गड्ढों से भर जाती हैं और पुल ढहते दिखाई देते हैं, तब पुणे की जंगली महाराज रोड (जेएम रोड) एक जीवित उदाहरण के रूप में खड़ी है। लगभग 50 साल पहले 1976 में बनी यह 2.5 किलोमीटर लंबी सड़क आज भी मजबूती और टिकाऊपन का प्रतीक है।
इस सड़क का निर्माण मुंबई स्थित रिकोंडो कंपनी ने किया था, जिसे दो पारसी भाइयों ने संचालित किया। उस समय भारत में पहली बार इस कंपनी ने उन्नत हॉट-मिक्स डामर तकनीक का इस्तेमाल किया था। यह तकनीक 1970 के दशक के मध्य में बेहद नई थी और पुणे की अन्य क्षतिग्रस्त सड़कों के बीच जेएम रोड को एक अलग पहचान दी।
दरअसल, 1972 के सूखे और 1973 की बाढ़ के बाद पुणे की अधिकांश सड़कें टूट चुकी थीं। ऐसे समय में 1976 में बनी जेएम रोड न केवल शहर के लिए राहत बनी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इंजीनियरिंग का एक आदर्श भी साबित हुई। ठेकेदार ने निर्माण के समय दावा किया था कि यह सड़क कम से कम 10 साल तक टिकेगी। आश्चर्यजनक रूप से यह सड़क उस दावे से कहीं आगे बढ़कर आधी सदी तक बिना बड़ी मरम्मत के टिक गई।
इतनी लंबी अवधि तक गड्ढामुक्त और मजबूत बनी रहने के कारण यह सड़क देशभर के ठेकेदारों, बाबुओं और नेताओं के लिए शर्मिंदगी का कारण भी बनती है। जहां नई बनी सड़कें कुछ ही बरसातों में टूट जाती हैं, वहीं पुणे की जेएम रोड ने साबित कर दिया कि यदि ईमानदारी और सही तकनीक से निर्माण किया जाए तो सड़कें दशकों तक टिक सकती हैं।
2014 में पहली बार इस सड़क का जीर्णोद्धार किया गया, यानी जनता के लिए खोले जाने के 35 साल बाद इसकी पुनः टारिंग की आवश्यकता पड़ी। इसके बाद भी यह अब तक अपनी मजबूती और गुणवत्ता के लिए जानी जाती है।
आज, जेएम रोड केवल पुणे की नहीं, बल्कि पूरे भारत की उन सड़कों में गिनी जाती है जो सिविल इंजीनियरिंग की मिसाल बन चुकी हैं। यह सड़क इस सवाल को भी जन्म देती है—अगर पुणे की सड़क 50 साल तक टिक सकती है, तो बाकी भारत में क्यों नहीं?