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मध्यप्रदेश में नई आरक्षक भर्ती: युवाओं से शुल्क वसूली पर उठे सवाल
भोपाल।
मध्यप्रदेश में एक बार फिर युवाओं को ठगने और उनकी जेब पर बोझ डालने का आरोप सरकार पर लग रहा है। हाल ही में घोषित नई आरक्षक भर्ती में मात्र 7,500 पद निकाले गए हैं, जबकि प्रदेशभर से लाखों युवाओं ने इस भर्ती का लंबे समय से इंतज़ार किया था।
भर्ती परीक्षा के आवेदन शुल्क ने भी उम्मीदवारों की नाराज़गी को और बढ़ा दिया है। निर्धारित शुल्क इस प्रकार है:
सामान्य वर्ग: ₹700
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): ₹400
अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST): ₹250
युवाओं का कहना है कि जिस प्रदेश में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर हो, वहां नौकरी की आशा लगाए बैठे अभ्यर्थियों पर इतना भारी आर्थिक बोझ डालना न केवल अनुचित है बल्कि उनकी भावनाओं से खिलवाड़ भी है।
सबसे बड़ी चिंता यह है कि यदि परीक्षा रद्द होती है या पद घटते हैं, तो क्या सरकार उम्मीदवारों से वसूली गई फ़ीस लौटाएगी? इससे पहले भी कई भर्तियों में आवेदन शुल्क लिया गया, लेकिन भर्ती प्रक्रिया अधर में अटकी रही और युवाओं को कोई मुआवज़ा नहीं मिला।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए, साथ ही इस बात की गारंटी भी दे कि अगर किसी भी कारणवश परीक्षा या भर्ती रद्द होती है, तो युवाओं की मेहनत की कमाई वापस की जाएगी।
युवाओं की मांग:
परीक्षा शुल्क कम किया जाए।
भर्ती प्रक्रिया समयबद्ध और पारदर्शी हो।
किसी भी कारणवश रद्द होने पर शुल्क वापस लौटाने की गारंटी दी जाए।
फिलहाल सरकार की ओर से इस विषय पर कोई ठोस आश्वासन सामने नहीं आया है। ऐसे में सवाल यही है कि क्या सरकार युवाओं की उम्मीदों को पूरा कर पाएगी, या फिर यह भर्ती भी राजनीति की भेंट चढ़ जाएगी?