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पीडब्ल्यूडी विभाग की पोल खोली – सरकार को दिखाया काम, जनता को ठग दिया
राजधानी सहित कई जिलों में लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। विभागीय अफसरों की निगरानी में जो काम कागज़ों और डिजिटल रिपोर्टों में पूरे दिखाए गए हैं, वे ज़मीनी स्तर पर कहीं दिखाई ही नहीं देते।
सरकार की नज़र में सड़कों की मरम्मत, पुल-पुलियों का निर्माण, नालों की सफाई और अन्य सार्वजनिक परियोजनाएँ पूरी हो चुकी बताई गई हैं। डिजिटल अपडेट्स, फोटो और रिपोर्ट तक अपलोड कर दिए गए, ताकि मंत्रालय को लगे कि काम तय समय पर संपन्न हुआ है। लेकिन हकीकत यह है कि जिन इलाकों के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट स्वीकृत हुआ, वहां की जनता अब भी टूटी सड़कों, जर्जर पुलों और गंदगी से जूझ रही है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारियों ने केवल दिखावे के लिए औपचारिकताएँ पूरी कीं, जबकि धरातल पर कोई काम नहीं हुआ। ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगहों पर तो परियोजनाओं की शुरुआत तक नहीं हुई, बावजूद इसके कागज़ों में उन्हें "पूर्ण" दर्शा दिया गया।
जानकारों का कहना है कि यह सीधे तौर पर "डिजिटल हेराफेरी" है। डिजिटल इंडिया और पारदर्शिता के नाम पर जो सिस्टम बनाया गया, उसका उपयोग ईमानदार रिपोर्टिंग की जगह काम छुपाने और जनता को गुमराह करने में हो रहा है।
अब सवाल यह है कि सरकार इन झूठे अपडेट्स पर कब तक भरोसा करती रहेगी? क्या इन अफसरों की जवाबदेही तय होगी, या फिर जनता यूँ ही टूटी सड़कों और अधूरे विकास कार्यों का दर्द झेलती रहेगी?
जनता की मांग है कि सभी परियोजनाओं का स्वतंत्र ऑडिट कराया जाए और जमीनी हकीकत से मेल न खाने वाले डिजिटल अपडेट्स देने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।